Physical Address

304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124

Shiv Temple: इस शिव मंदिर की रहस्यमयी गुफा के पत्थरों से आती है डमरू की आवाज

हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर के पास है। इस शिव मंदिर की खास बात ये है कि इससे डमरू की आवाज आती है। आइए इस मंदिर के बारे में जानते हैं।

Shiv Temple: हिमाचल प्रदेश के सोलन में जटोली शिव मंदिर भगवान शिव के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने कुछ देर विश्राम किया था।

स्थानीय लोगों का मानना है कि भगवान शिव अपनी यात्रा के दौरान इस स्थान पर आए थे और इस जगह की प्राकृतिक सुंदरता पर मोहित हो गए और कुछ दिनों तक रुके और तपस्या भी की।

आइए जानते हैं इस जगह के पीछे की कहानी के बारे में-

इस स्थान को महत्व देने का श्रेय स्वामी कृष्णानंद परमहंस को जाता है। स्वामी कृष्णानंद 1950 के दशक में इस स्थान पर आए थे। कहा जाता है कि उस समय जटोली के लोगों को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा था।

लोगों के इस संकट को दूर करने के लिए स्वामी कृष्णानंद ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और अपने त्रिशूल से प्रहार कर जमीन से पानी निकाल लिया। तब से जटोली के लोगों को कभी पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़ा।

इसके बाद स्वामी कृष्णानंद ने जटोली के इस मंदिर के निर्माण की नींव रखी। इस मंदिर का निर्माण 1974 में शुरू हुआ था। हालांकि स्वामी कृष्णानंद ने 1983 में समाधि ले ली थी, लेकिन मंदिर का निर्माण नहीं रुका।

देश और दुनिया के कोने-कोने में बसे हिंदुओं ने अपने आराध्य के इस अनोखे मंदिर के निर्माण में अपना सहयोग दिया। कुल मिलाकर मंदिर के निर्माण में 39 साल लगे और करोड़ों रुपए खर्च किए गए।

मंदिर के कोने में है शिवजी की गुफा-

मंदिर के कोने में स्वामी कृष्णानंद की एक रहस्यमयी गुफा है। इस गुफा में एक शिवलिंग भी स्थापित है। जिस पर सफेद रंग का पानी लगातार गिरता रहता है। हैरान करने वाली बात यह है कि यह पानी गुफा के भीतर छत से चार थनों के पत्थरों से गिरता रहता है।

इसमें से दो थन अब टूट चुके हैं, लेकिन बाकी दो के नीचे बने शिवलिंग पर पानी गिरता रहता है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि ये शिवलिंग यहां सदियों से इसी हालत में हैं और इन पर खुद-ब-खुद पानी गिरता रहता है।

ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान शिव ने इस गुफा के अंदर तपस्या की थी और फिर बाद में शिवलिंग के रूप में यहां स्थापित हुए। इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है।

यहां हजारों की संख्या में लोग भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है।

मंदिर की ऊंचाई करीब 111 फीट है। हाल ही में इस मंदिर को 11 फीट का स्वर्ण कलश चढ़ाया गया था, जिससे मंदिर की कुल ऊंचाई 122 फीट हो गई है।

मंदिर के चारों ओर भगवान शिव और माता पार्वती सहित विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर के गर्भगृह में स्फटिक रत्न से बना शिवलिंग स्थापित किया गया है। मंदिर की विशेषता गुफा के पत्थर हैं।

गुफा से आती है डमरू की आवाज

गुफा में इन पत्थरों को छूने या थपथपाने से डमरू की आवाज आती है। दुर्गम पहाड़ियों के बीच इस गुफा को शिवधन्क के नाम से जाना जाता है। यहां तक पहुंचने के लिए कठिन रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है।

भले ही इस मंदिर का निर्माण कोई 45-50 साल पहले हुआ हो, लेकिन इस स्थान का महत्व पौराणिक है और स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने इस महत्व को देखते हुए भगवान शिव की तपस्या के लिए इस स्थान को चुना।

इस तरह पहुंच सकते हैं ये शिव मंदिर

हिमाचल प्रदेश के प्रमुख शहरों में से एक सोलन का निकटतम हवाई अड्डा शिमला में है, जो लगभग 45 किमी की दूरी पर है। हिमाचल प्रदेश सरकार निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) के तहत सोलन में 1,000 करोड़ रुपये की लागत से राज्य का पहला अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने जा रही है।

हालांकि, सोलन का निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा चंडीगढ़ है। रेल द्वारा सोलन पहुंचने के साधन फिलहाल सीमित हैं। सोलन विश्व प्रसिद्ध कालका-शिमला नैरो गेज लाइन पर स्थित है।

कालका जंक्शन के माध्यम से सोलन दिल्ली, देहरादून, कोलकाता और अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है।

राष्ट्रीय राजमार्ग 22 सोलन से होकर गुजरने वाली प्रमुख सड़क है। यह एक रक्षा सड़क है जो दिल्ली, अंबाला, चंडीगढ़ और देहरादून को चीनी सीमा से जोड़ती है।

सड़क मार्ग से शिमला से सोलन की दूरी लगभग 48 किमी और चंडीगढ़ से लगभग 68 किमी है।

ट्रेवल एवं टूरिज्म इंडस्ट्री के जुडी ख़बरें सबसे पहले पाने के लिए फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, इंस्टाग्राम और गूगल न्यूज़ पर हमें फॉलो करें और हमसे जुड़ें!

WhatsApp Group

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *